रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने Kavach से सुसज्जित एक रेलगाड़ी के इंजन में सवारी की, जो 130 किमी प्रति घंटे की गति से चलते हुए लोको पायलट के हस्तक्षेप के बिना लाल बत्ती से 50 मीटर पहले स्वतः ही रुक गई।
रेल मंत्री ने कवच के ट्रायल की संक्षिप्त समीक्षा की।कवच दुर्घटनाओं को रोकने के लिए अपने आप ब्रेक लगाता है।
शुरुआती चरण में कवच का इस्तेमाल दस हजार इंजनों में किया जाएगा।
रेल kavach“कवच” क्या है?
भारतीय व्यवसायों के सहयोग से, अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) ने स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (ATP) तकनीक बनाई जिसे kavach”कवच” के नाम से जाना जाता है। ट्रेन की गति की निगरानी करके और संभावित समस्याग्रस्त संकेतों की पहचान करने में ट्रेन ऑपरेटरों की सहायता करके, इस तकनीक का उद्देश्य रेलवे सुरक्षा को बढ़ाना है। कवच की कुछ विशेषताएँ निम्नलिखित हैं: सुरक्षा अखंडता का स्तर (SIL-4): कवच सुरक्षा अखंडता के लिए सबसे सख्त आवश्यकताओं को पूरा करता है। टक्कर-रोधी विशेषताएँ: आमने-सामने की टक्करों से बचने के लिए, कवच स्वचालित ब्रेक लगा सकता है या ट्रेनों की गति धीमी कर सकता है।
केंद्रीकृत ट्रैकिंग: कवच के नेटवर्क मॉनिटर सिस्टम की बदौलत ट्रेन की गतिविधियों को वास्तविक समय में देखा जा सकता है। एसओएस संदेश: किसी आपात स्थिति में, कवच एसओएस सिग्नल प्रसारित करने में सक्षम है। आरएफआईडी टैग: प्रत्येक सिग्नल पर, कवच आरएफआईडी टैग का उपयोग करता है जो हर 1 किलोमीटर पर पटरियों पर स्थित होते हैं।एंटी कोलिजन सिस्टम का संचित नाम kavach है।
मंगलवार को रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने सिस्टम के सुधारों की निगरानी की और kavach “कवच” स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली के परीक्षण की समीक्षा की। राजस्थान के सवाई माधोपुर और इंदरगढ़ रेलवे स्टेशनों में पश्चिम मध्य रेलवे जोन ने परीक्षण के लिए स्थान बनाए। मंत्री ने दिखाया कि कवच ने सात अलग-अलग आपातकालीन परिस्थितियों में कैसे काम किया, और सभी योजना के अनुसार चले।
वैष्णव के अनुसार, पहले चरण में 9,000 किलोमीटर रेल की पटरियाँ और 10,000 इंजनों पर यह प्रणाली लगाई जाएगी, जिन्होंने kavach”कवच” को “रेल सुरक्षा का भविष्य” बताया। उन्होंने कहा कि दिसंबर 2030 तक पूरे देश में इसे लागू करने की उम्मीद है।
Kavach”कवच” ने सात परीक्षणों के उत्तर इस प्रकार दिये:
1. रुकने की गति: चालक की सहायता के बिना, कवच ने लाल बत्ती से 50 मीटर दूर ट्रेन रोक दी।
2. स्थायी गति सीमा: जब ट्रेन सावधानी क्षेत्र (Caution Zone)में प्रवेश करती थी, तो कवच स्वचालित रूप से गति को घटाकर 120 किमी प्रति घंटा कर देता था। जैसे ही यह क्षेत्र से बाहर निकलता था, गति वापस 130 किमी प्रति घंटा हो जाती थी।
3. लूप लाइन: लूप लाइनों पर कवच की गति स्वचालित रूप से सुरक्षित 30 किमी प्रति घंटे तक धीमी हो जाती है।
4. स्टेशन मास्टर का संदेश: स्टेशन मास्टर द्वारा समस्या की सूचना दिए जाने के बाद कवच ने सुरक्षा के लिए तुरंत ट्रेन को रोक दिया।
5. लेवल क्रॉसिंग पर सीटी बजाना: कवच लेवल क्रॉसिंग गेट पार करते ही स्वचालित रूप से हॉर्न बजाता था, भले ही चालक ने इसका प्रयोग न किया हो।
6. कैब सिग्नलिंग: लोको का कैब डिस्प्ले पूरे सफर में लगातार अगला सिग्नल पहलू दिखाता था, जिससे कैब सिग्नलिंग प्रणाली का प्रभावी ढंग से मूल्यांकन होता था।
7. होम सिग्नल पार करना: ड्राइवर ने लाल होम सिग्नल पार करने की कोशिश की, लेकिन कवच ने सभी को सुरक्षित रखने और समय पर गाड़ी रोकने के लिए उसे रोक दिया।
अनुसंधान डिजाइन और मानक संगठन (RDSO) ने कवच प्रणाली विकसित की है, जिसे स्वचालित ट्रेन सुरक्षा प्रणाली भी कहा जाता है, जिसमें आपातकालीन स्थिति में स्वचालित रूप से ब्रेक लगाने की क्षमता होती है, यदि ट्रेन चालक पर्याप्त तेज़ी से कार्य करने में असमर्थ होता है। पिछले आठ वर्षों से, रेल मंत्रालय इस परियोजना में लगा हुआ है। हाल ही में हुई रेल दुर्घटनाओं की श्रृंखला ने कवच की मांग को बढ़ा दिया है। पिछले पाँच वर्षों में, रेलवे ने सालाना 43 परिणामी दुर्घटनाओं या ऐसी घटनाओं का अनुभव किया है, जिनसे संपत्ति को नुकसान पहुँचा या यात्रियों के बीच हताहत हुए। 2015 और 2022 के बीच, रेल दुर्घटनाओं के कारण सालाना औसतन 56 यात्री मारे गए।
Nice Information👌👌🥰
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बहुत ही अद्भुत जानकारी , कवच न केवल भारतीय रेल को एक दृढ सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि कुहासे भरे मौसम में भी गाड़ियों के निरस्तीकरण को रोकेगा एवं गाड़ियों की गति को भी काम नहीं होने देगा. सुरक्षा एवं संरक्षा की दृष्टि से कवच भारतीय रेल के इतिहास ने मील का पत्थर साबित होगा
Welldone indian Railways
Thanks